लेख-निबंध >> तपती पगडंडियों के राही तपती पगडंडियों के राहीरेणुका नैयर
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तपती पगडंडियों के राही मात्र साक्षात्कारों की ही पुस्तक नहीं है, बल्कि यह स्त्री-विमर्श के नये आयाम स्थापित करती है।
दुनिया अगर चार पहाड़ों बोझ तले पिस रही है तो औरतों पर पाँच पहाड़ों का बोझ है। और वह पाँचवां पहाड़ पुरुष सत्तात्मक विधान का है। स्त्री-पुरुष संबंधों को लेकर आज हमारा समाज संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। युवा पीढ़ी में विवाह जैसी पुरानी संस्था को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। दहेज हत्याओं और स्त्री-उत्पीड़न को लेकर विवाह संस्था बहुतों को भयभीत कर रही है।
आधुनिक युग में विवाह संस्था की विफलताएँ बढ़ी हैं क्योंकि एक तो स्त्री पहले-सी दब्बू नहीं रही है, वह आत्मनिर्भर हो रही है। और दूसरे, पुरुष भी पहले जैसा संतोषी नहीं रहा है।
स्त्री-पुरुष संबंधों को लेकर आज जो नयी परिस्थितियां हमारे सामने आ रही हैं, उसका मुख्य कारण है कि हम नारी को संपूर्णता में नहीं देखते। इसी से समस्यायें जन्म लेती है। स्त्री-पुरुष संबंधों के इन्ही नये आयामों को जानने समझने के लिए जानी मानी पत्रकार रेणुका नैयर ने एक प्रश्नावली के माध्यम से प्रतिष्ठित लेखिकाओं से उनके विचार जानने का प्रयास किया है।
आधुनिक युग में विवाह संस्था की विफलताएँ बढ़ी हैं क्योंकि एक तो स्त्री पहले-सी दब्बू नहीं रही है, वह आत्मनिर्भर हो रही है। और दूसरे, पुरुष भी पहले जैसा संतोषी नहीं रहा है।
स्त्री-पुरुष संबंधों को लेकर आज जो नयी परिस्थितियां हमारे सामने आ रही हैं, उसका मुख्य कारण है कि हम नारी को संपूर्णता में नहीं देखते। इसी से समस्यायें जन्म लेती है। स्त्री-पुरुष संबंधों के इन्ही नये आयामों को जानने समझने के लिए जानी मानी पत्रकार रेणुका नैयर ने एक प्रश्नावली के माध्यम से प्रतिष्ठित लेखिकाओं से उनके विचार जानने का प्रयास किया है।
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